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कार इंश्योरेंस ट्रांसफर
आज कल के आर्थिक माहौल में उपभोक्ता 'रिड्यूस, रईयूस और रीसायकल' करने में लगे हैं, ऐसे में सेकंड हैंड या इस्तेमाल किये वाहनों का खरीदना आम होता जा रहा है। भारत में सेकंड हैंड वाहनों की ज़रुरत लगातार बढ़ रही है। हालाँकि गाडी खरीदने का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि आप बढ़िया ब्रांड चुने, अपना पसंदीदा मॉडल चुने और आपके बजट के अनुसार खरीददार चुनें। कार खरीदने के प्रक्रिया में खरीददार और लेनदार के लिए एक एहम पहलु है कार योजना का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित करना।
नयी गाड़ी खरीदते समय सबसे पहला चरण है रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र का हस्तांतरण करना। नए मालिक को यह बात सबसे पहले सोचनी चाहिए और बाद पर नहीं टालनी चाहिए। परन्तु कार बीमा हस्तान्तरण की जानकारी बहुत काम लोगों को होती है। यह कार बीमा हस्तान्तरण से पहले होने वाला काम है।
आपको कार बीमा योजना हस्तांतरित करवाने के क्या ज़रुरत है?
जैसा की आप जानते हैं कि कार बीमा कार को आने वाले जोखिमों से बचने के लिए खरीदा जाता है। अगर अब आपके पास आपकी कार ही नहीं है तो उसका बीमा रखने का क्या फायदा। इसलिए जब भी आप अपनी गाडी बेचें तो इस बात का ध्यान रखें कि नए खरीदार के नाम पर आप अपने बीमा योजना हस्तांतरित करवा दें। अगर आप कोई सेकंड हैंड गाड़ी खरीद रहे हैं तो याद रखें कि आप कार बीमा योजना अपने नाम करवा ले।
इसके अलावा दो और ऐसे कारन जिनकी वजह से आपको कार बीमा हस्तांतरित करवाना चाहिए:
1. भविष्य में होने वाली देनदारियों से बचने के लिए
अगर आप कोई सेकंड हैंड गाड़ी खरीद रहे हैं तो कार बीमा पॉलिसी अपने नाम पर हस्तांतरित करवाना भविष्य में होने वाली देनदारियों से बचने के लिए बहुत ज़रूरी है। अगर आपकी सेकंड हैंड कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है और उससे तृतीय पक्ष लायबिलिटी हो जाती है तो अगर आपने कार बीमा योजना अपने नाम पर हस्तांतरित नहीं कराई होगी तो आप तृतीय पक्ष दावा नहीं कर पाएंगे। नतीजन आपको तृतीय पक्ष कर्तव्य अपने आप भरनी होगी।
इसी तरह अगर आप अपनी गाडी किसी को बेच देते हैं तो आपको वाहन बीमा पॉलिसी उसके नाम हस्तांतरित करवा देनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो नए गाडी मालिक द्वारा हुयी किसी भी दुर्घटना का थर्ड पार्टी लायबिलिटी भरने के ज़िम्मेदार आप होंगे क्योंकि पॉलिसी अभी भी आपके नाम पर है।
2. नो क्लेम बोनस बनाये रखने के लिए
हर क्लेम फ्री पुलिस वर्ष के लिए आपको नो क्लेम बोनस मिलता है जिसका लाभ आप पॉलिसी रिन्यूअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट मिलता है। अगर आप अपनी गाडी बेच देते हैं तो आपको एकत्रित एनसीबी को भी हस्तांतरित करना होगा जिससें पॉलिसी रिन्यूअल के समय प्रीमियम पर डिस्काउंट मिले।
गाडी बीमा हस्तांतरण की प्रक्रिया
गाडी बीमा हस्तांतरण की प्रक्रिया गाडी मालिकाना हस्तांतरण के साथ साथ चलती है। अगर एक बार गाडी किसी और के द्वारा खरीद ली जाती है तो पुराने मालिक की पॉलिसी वैद्य नहीं रहती। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के अनुसार मोटर बीमा दावा करते समय रजिस्ट्रेशन और बीमा दस्तावेज़ों पर एक ही नाम होना चाहिए।
कोई दुर्घटना होने पर उसके खर्चे के लिए यह आपातकाल में काम आता है। साथ ही अपने वाहन को बीमित नहीं करने पर क्लेम भी अस्वीकार हो सकता है।
रुपयों के शुल्क के साथ निम्नलिखित दस्तावेज़ों की गाडी बीमा हस्तांतरण के लिए ज़रुरत होती है:
- पंजीकरणप्रमाणपत्र/फॉर्म 29 की नयी प्रतिलिपि
- पुरानीपॉलिसी के कागज़ात
- पुरानेपॉलिसी धारक से नो ऑब्जेक्शन प्रमाणपत्र (एनओसी)
- नयाएप्लीकेशन फॉर्म
- जांचरिपोर्ट (बीमा कंपनी द्वारा जांच)
- नोक्लेम बोनस की डिफरेंस रकम
नो क्लेम बोनस
एक इस्तेमाल की हुयी गाडी को बेचने से जहाँ पुराना मालिक पंजीकरण और बीमा पर दस्तखत करता है, वहीं गाडी बीमा हस्तांतरण प्रक्रिया में एक और भिन्नता है: नो क्लेम बोनस (एनसीबी)। नो ल्सियम बोनस बीमा
कंपनी द्वारा सावधान चालकों को कोई क्लेम न करने के लिए दिया गया एक इनाम है। अगर एक पुरानी बीमा पॉलिसी अमान्य हो जाती है तो वह नयी गाडी को हस्तांतरित कर दी जाती है। अपना एनसीबी पार्ट नयी बीमा कंपनी को देने पर पुराने पॉलिसी धारक को अपने प्रीमियम पर डिस्काउंट मिलता है। इतना ही नहीं, जितने ज्यादा साल उतनी ज्यादा छूट।
एनसीबी के दर नीचे दी गयी है
नो क्लेम लाभ दर
पहले क्लेम फ्री साल के बाद |
20 प्रतिशत |
दूसरे क्लेम फ्री साल के बाद |
25 प्रतिशत |
तीसरे क्लेम फ्री साल के बाद |
35प्रतिशत |
चौथे क्लेम फ्री साल के बाद |
45 प्रतिशत |
पांचवे क्लेम फ्री साल के बाद |
50 प्रतिशत |
कोई गाडी खरीदते समय इसका धायण देना बहुत ज़रूरी है। जैसे कि गाडी खरीदते समय बीमा पॉलिसी हस्तांतरित हो जाती है, एनसीबी कभी हस्तांतरित नहीं होता। जैसे कि कोई मालिक 4 साल की पॉलिसी के बाद अपनी गाड़ी बेचना चाहता है और उसने एक भी क्लेम नहीं किया है तो उसे 45 प्रतिशत एनसीबी छूट मिलेगी। कुछ सालों बाद वह एक नयी गाडी का मिल्क बन जाता है जिसका पॉलिसी प्रीमियम 25,000 हो और उसका डैमेज कॉम्पोनेन्ट 20,000 हो।
अगर वो अपने एनसीबी छूट यहाँ पर लेता है तो उसका डैमेज कॉम्पोनेन्ट 45 प्रतिशत घटकर 11,000 रह जायेगा। उसका कुल प्रीमियम 25,000 की जगह 16,000 का रह जायेगा।
एनसीबी अवधारण पत्र के लिए ज़रूरी दस्तावेज़:
एनसीबी अवधारण पत्र जारी करने के लिए बीमा कंपनी नुम्लिखत दस्तावेज़ों की मांग करेगी:
- पॉलिसीरद्द करने के लिए पत्र
- पॉलिसीप्रतिलिपि की सच्ची कॉपी और बीमा प्रमाणपत्र (फॉर्म 51)
- फॉर्म29 (मोटर वाहन मालिकाना हक़ हस्तांतरण का नोटिस)
- फॉर्म30 (इंटिमेशन एप्लीकेशन और मोटोट वाहन मालिकाना हक़ का हस्तांतरण )
- पंजीकरणप्रमाणपत्र किताब की नए मालिक के नाम के साथ की प्रतिलिपि
- गाड़ीकी डिलीवरी का सबूत
नयी संपत्ति को खरीदने के लिए बहुत योजना बनाए की ज़रुरत होती है। खरीददार के लिए तो पुरानी गाडी भी निवेश के सामान है। तो यह ज़रूरी है कि प्रकिर्या में उचित मालिकाना हकों, अधिकारों और पॉलिसी का हस्तांतरण हो।
अगर गाडी बीमा हस्तांतरण अधूरा रह गया तो
गाडी बीमा हस्तांतरण अधूरा रहने पर दो चीज़ें होती है:
पहली, अगर आपने पुराने मोटर बीमा को अपनी नाम नहीं करवाया तो आप कोई क्लेम नहीं कर पाएंगे। आगरा गाडी को कोई नुक्सान हॉट है या आपको थर्ड पार्टी लायबिलिटी होती है तो आप गाडी कवर कर रही कोई बीमा कंपनी पर कोई क्लेम नहीं कर पाएंगे।
दूसरी,अगर अपने गाडी बीमा नए मालिक के के नाम पर पॉलिसी हस्तांतरित नहीं करी तो मोटर दुघटना क्लेम ट्रिब्यूनल आपको थर्ड पार्टी लायबिलिटी और नुक्सान भरपाई का आदेश दे सकती है।
इसलिए किसी कानूनी पचड़े में पड़ने से खुद को बचने के लिए ध्यान रखें कि आप पॉलिसी नए मालिक के नाम पर हस्तांतरित कर दें।
मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 157 के अनुसार गाडी बेचने वाला व्यक्ति बीमा हस्तांतरण के लिए ज़िम्मेदार होता है। बीमा हस्तांतरण गाडी बेचने के 14 दिन बाद हो जाना चाहिए। पहले 14 दिनों में गाडी पर थर्ड पार्टी कवर अपने आप हस्तांतरित हो जाता है और जारी रहता है। हालाँकि ओन डैमेज कवर नए धारक को पॉलिसी हस्तांतरित होने के बाद ही चालू होता है। अगर 14 दिन के अंदर अंदर हस्तांतरण नहीं किया गया तो 15वें दिन से थर्ड पार्टी कवर सम्पत हो जाता है।
गाडी बीमा पॉलिसी के सम्बन्ध में पुछे गए कुछ सामान्य सवाल
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प्रश्न. क्या में अपना थर्ड पार्टी गाडी बीमा हस्तांतरित कर सकता हूँ?
उत्तर- तृतीय पक्ष कार बीमा एक मालिक से दूसरे मालिक को हस्तांतरित किया जा सकता है। पहले 14 दिनों में गाडी पर थर्ड पार्टी कवर अपने आप हस्तांतरित हो जाता है, पर कवरेज निर्धारण के लिए 15वे दिन कवर को हस्तांतरित करने ज़रूरी है।
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प्रश्न. गाडी बीमा हस्तांतरण पत्र का प्रारूप कैसा होता है?
उत्तर- गाडी बीमा हस्तांतरण पत्र आपके मोटर बीमा कंपनी के मैनेजर को प्रेषित होना चाहिए और उनसे यह पॉलिसी हस्तांतरण का निवेदन करना चाहिए। आप गाडी बीमा हस्तांतरण पत्र अपने बीमा कंपनी की वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं।
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प्रश्न. क्या में अपनी एनसीबी नए मालिक को हस्तांतरित कर सकता हूँ?
उत्तर- नहीं। आप अपनी एनसीबी नए मालिक को हस्तांतरित नहीं कर सकते क्योंकि एनसीबी मालिक को कोई क्लेम न करने के लिए मिलती है गाडी को नहीं।
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प्रश्न- क्या में अपनी गाडी का आरसी बिना पॉलिसी हस्तांतरण के हस्तांतरित कर सकता हूँ?
उत्तर- नहीं। आप अपनी गाडी का पंजीकरण प्रमाणपत्र बिना पॉलिसी हस्तांतरण के किसी और को हस्तांतरित नहीं कर सकते। क्योंकि अपने चौपहिया वाहन की आरसी हस्तांतरित करने के लिए आपको आरटीओ में गाडी बीमा पॉलिसी के कागज़ात भी देने होंगे।
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प्रश्न- अर्से को हस्तनांतरित होने में कितना समय लगता है?
उत्तर- अधिकतर आर सी को हस्तांतरित होने में 20 से 60 दिन लगते हैं पर यह अलग अलग परिस्थिति पर निर्भर करता है। गाडी सामान राज्य के आरटीओ में है या अलग राज्य के आरटीओ में इसका भी फरक पड़ता है। इसके सामान ही अगर पुराने मालिक की मृत्यु हो गयी है और उसके उत्तराधिकारी के नाम पर हस्तांतरण करने में ज्यादा समय लगता है।
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प्रश्न- अपने गाड़ी के मालिकान हक़ को हस्तांतरित करने के लिए मुझे कितना शुल्क देना होगा?
उत्तर- यह शुल्क एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग अलग होता है। जैसे कि दिल्ली में आरसी हस्तांतरित करने के लिए 530 रूपये का शुल्क लगता है।
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प्रश्न- क्या में अपनी कार की मालिकाना हक़ ऑनलाइन हस्तांतरित कर सकता हूँ?
उत्तर- नहीं। आप अपनी कार की मालिकाना हक़ ऑनलाइन हस्तांतरित नहीं कर सकते। आपको अपनी कार की मालिकाना हक़ हस्तांतरित करने के लिए खुद आरटीओ जाकर दस्तावेज़ जमा करने होंगे।
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प्रश्न- क्या में आरटीओ से एनओसी ऑनलाइन प्राप्त कर सकता हूँ?
उत्तर- हाँ। आप फॉर्म 28 डाउनलोड करके आरटीओ से ऑनलाइन नो ऑब्जेक्शन सर्टीफिकेटे (एनओसी) प्राप्त कर सकते हैं। यह फॉर्म एप्लीकेशन की तरह ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ आरटीओ में जमा करना होगा। पुलिस सत्यप्रमाण और जांच पारा के बाद आरटीओ आपको एनओसी प्रमाणपत्र जारी कर देगी।
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