तरीका क्रमांक 1: मानव जीवन मूल्य
इस पद्धति के अनुसारएक बीमाधारक को जो जीवन बीमा कवरेज खरीदना चाहिएवह सीधे आर्थिक मूल्य के अनुपात में होता है। इसी मूल्य को मानव जीवन मूल्य(एचएलवीकहा जाता है। यह राशि बीमाधारक के लिए प्रस्तुत किया गया पूंजीकृत मूल्य है और इसे वर्तमान मुद्रास्फीति के आधार पर गणना की जाती है। एचएलवी की गणना तीन कारकों जैसेआयुवर्तमान और भविष्य के खर्चऔर वर्तमान और भविष्य की कमाई के आधार पर की जाती है। आइए इसको सरल भाषा में समझते हैं।
मान लीजिएराहुल की उम्र अभी 40 वर्ष है और वो एक निजी कंपनी में कार्यरत है। उसकी वार्षिक आय पांच लाख रुपये है। उसका सलाना खर्च 1,30,000 रुपये है। उसके बचे हुए 3,70,000 रुपये से परिवार में रोजमर्रा की चीचें और अन्य खर्च होंगे। ये 3,70,000 रुपये राहुल की इकनॉमिक वैल्यू है।
कुल इनकम
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5 लाख रुपये
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खुद के लिए किया गया खर्च
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1 लाख रुपये
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देय कर
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15,000 रुपये
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बिमा प्रीमियम
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15,000 रुपये
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सेनानिवृत्ति आयु
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60 वर्ष
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परिवार का अतिरिक्त आय
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3.7 लाख रुपये
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वापसी की अपेक्षित दर
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8%
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कार्य अवधि
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20 वर्ष
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मानव जीवन मूल्य
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3.9 लाख रुपये
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यहाँ आपकामानव जीवन मूल्य जानिए।
तरीका क्रमांक 2: आय प्रतिस्थापन मूल्य
यह पद्धति आपके आवश्यकता और वार्षिक आय के अनुसार आपका जीवन बीमा कवरेज आपका जीवन बीमा कितना होना चाहिए उसकी गणना करता है।
आवश्यक बीमा कवरेज= वार्षिक आय* सेवानिवृत्ति के लिए बचे हुए सालों की संख्या
उदहारण के लिएसोचिये आपका वार्षिक आय4 लाख रुपये है और आपका आयु30 वर्ष है। आपकी सेवानिवृत्ति होने में अभी30 साल बचे है। इस मामले में आपका आवश्यक इंश्योरेंस कवरेज होगा12 करोड़ रुपये(4,00,000 * 30)।
तरीका क्रमांक 3: जरूरतों का विश्लेषण
इस पद्धति मेंगणना परिवार के सबसे युवा सदस्य की जीवन प्रत्याशा और दिन-प्रतिदिन के पारिवारिक ख़र्चों के आधार पर की जाती है। मूल्यांकन के लिए विचार करने वाले प्रमुख कारक हैं:
- बीमाधारकों के आश्रितों की संख्या
- ऋण
- बच्चे की शिक्षा
- बच्चे की शादी
- गृहवधू के लिए प्रावधान
- जिस तरह की जीवनशैली आप अपने परिवार को प्रदान करना चाहते हैं
- अन्य विशेष ज़रूरतें
उपर्युक्त सभी खर्चों का मूल्याङ्कन करने के बाद जो राशि आता है वही आप के परिवार के जीवनशैली कोआपके आकस्मिक निधन हो जाने परसुरक्षित करने के लिए आवश्यक है। आपके पास पहले से मौजूद जीवन बीमा पॉलिसी और आपकी सभी संपत्ति में कटौती करके जो नया और पुराने आंकड़े में जो अंतर आता है उसी अंतर को ख़त्म करने की आपको जरूरत है। ध्यान दें कि निवेशित संपत्ति में निवास और गाड़ी शामिल नहीं है।
ज़रूरतों का विश्लेषण और मानव जीवन मूल्य में अंतर है की पहला उन आर्थिक प्रयोजनों को विचार करता है जो जीवन के विभिन्न चरणों में प्रकट हो सकता है। हालाँकिमानव जीवन मूल्य यह मान लेता है की बीमाधारक की आय में बीमा की अवधि के भीतर कोई बदलाव नहीं आएगा। इसके अलावाआप अपने ज़रूरतों का विश्लेषण करके अपने सेवानिवृत्ति के दिनों का भी आकलन कर सकते है।
तरीका क्रमांक 4: ग्राहक का थंब नियम
इस पद्धति के तहतबीमित राशि वार्षिक आय और बीमाधारक के आयु के आधार पर कई गुना होने की सलाह देती है। उदाहरण के लिए, 20 से30 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के पास उनकी वार्षिक आय का25 गुना मूल्य का जीवन बीमा कवरेज होना चाहिएजबकि40-50 वर्ष से अधिक आयु वालों के पास उनकी वार्षिक आय का20 गुना जीवन बीमा कवरेज होना चाहिए।
तरीका क्रमांक 5: प्रीमियम और कमाई का प्रतिशत
यह नियम जीवन बीमा कवरेज की राशि के बजाय प्रीमियम पर खर्च की जाने वाली राशि की गणना करता है। इस नियम के तहत पॉलिसीधारक की कुल आय का6% और प्रत्येक आश्रित के लिए अतिरिक्त1% जीवन बीमा प्रीमियम पर खर्च किया जाना चाहिए। अगरआपकी वार्षिक आय5 लाख रुपये है और आपके कंधो पर दो जनों- -- पत्नी और बच्चा का दायित्व है तो आपका लाइफ इंश्योरंस की सालाना पॉलिसी40,000 रुपये की होनी चाहिए(6X500000+1X500000/2)।
निष्कर्ष
जीवन बीमा कवरेज को समय के साथ बदलने की जरूरत हैइसलिएनियमित रूप से अपनी बीमा ज़रूरतों की समीक्षा करना ज़रूरी होता है। इसके अलावाउपर्युक्त विधियाँ आपको केवल एक सूचक मान देती हैं। अंतिम बीमा पोर्टफोलियो को आपके वित्तीय स्थिति के अनुसार तय कीजिए।
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