भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पैसे की बचत करना जरूरी है, क्योंकि धन मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का जरिया है। कई लोग पैसे बचाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। इनमें एक विकल्प एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट है। फिक्स्ड डिपॉजिट बचत और जमा के लिए मशहूर है। इसकी वजह यह है कि एफडी अकाउंट में जमा पैसा सुरक्षित होने के साथ ही निर्धारित रिटर्न भी मिलता है। खास बात यह है कि यह योजना बाजार से जुड़ी नहीं होती है, जिससे बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं होता है।
एफडी को हिंदी में सावधि जमा खाता भी कहते हैं। यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, इसके जरिए ग्राहक को नियमित बचत खाते के मुकाबले ज्यादा ब्याज हासिल होता है।
एफडी के जरिए एक निश्चित अवधि के लिए एक पूर्व निर्धारित ब्याज दर पर एक निश्चित राशि का निवेश किया जाता है। अगर निवेशक वरिष्ठ नागरिक है, तो उन्हें उच्च ब्याज दरों की पेशकश की जाती है। इसमें एकमुश्त राशि एक निर्धारित अवधि के लिए जमा करनी होती है | निर्धारित ब्याज दर के मुताबिक ब्याज दिया जाता है। लेकिन अलग-अलग वित्तीय संस्थानों जैसे कि सरकारी, गैर सरकारी बैंक, पोस्ट ऑफिस में ब्याज दर अलग-अलग होती है। फिक्स्ड डिपॉजिट के तहत अधिकतम 10 साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एक ऐसा अकाउंट जिसमें परिपक्वता (मैच्योरिटी) अवधि के लिए धनराशि जमा की जाती है और जिस पर निवेशकों को निर्धारित ब्याज मिलता है। फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में जमा किया पैसा निर्धारित अवधि से पहले नहीं निकाला जाता है, अगर किसी वजह से निवेश को अपनी धनराशि निकालना है तो उसे बैंक को सूचित करना होगा, जिसके बाद बैंक कुछ जुर्माना काटकर धनराशि वापस कर देती है।
स्टैण्डर्ड टर्म डिपॉजिट्स में धनराशि पूर्व निर्धारित ब्याज दर पर एक निश्चित अवधि के लिए निवेश की जाती है। इसमें अवधि 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकती है। इसमें निवेश अवधि और ब्याज दर वित्तीय संस्थान पर निर्भर होता है, जिसमें निवेश किया जा रहा है।
बैंक और एनबीएफसी अन्य निवेशकों की तुलना में 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग यानी वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज दर की सुविधा देते हैं। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट से हासिल हुए ब्याज पर टैक्स कटौती नहीं की जाती है।
रेकरिंग डिपाजिट भी एक तरह का फिक्स्ड डिपॉजिट है, इसमें धनराशि को निर्धारित अवधि जैसे मासिक या त्रैमासिक के लिए जमा किया जाता है। इसमें ब्याज दर पहले से ही निर्धारित होता है। परिपक्वता अवधि पूरी कंप्लीट होने पर धनराशि के साथ ब्याज प्राप्त होता है।
कुछ कॉर्पोरेट संस्थाएं भी एफडी जमा करने की पेशकश करती हैं। वे बैंकों और एनबीएफसी की तुलना में ज्यादा ब्याज दर देती हैं, लेकिन इसमें कॉर्पोरेट एफडी में जोखिम ज्यादा होता है। अगर कोई कंपनी दिवालिया हो गई तो इस बात की गारंटी नहीं है कि जमा की गई धनराशि को वसूल किया जा सकेगा।
एनआरआई एफडी विदेशी करेंसी में कमाई करने वाले नागरिकों के लिए अच्छा विकल्प है। करेंसी में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, लेकिन एनआरआई एफडी का सबसे खास फायदा यह है कि इसमें ब्याज सहित पूरी राशि टैक्स फ्री है।
फिक्स्ड डिपॉजिट में सबसे अहम ब्याज दर होती है। यह निवेश की गई धनराशि पर हासिल हुआ लाभ होता है। इसे लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर अलग गाइडलाइंस जारी करती है। इसी के हिसाब से वित्तीय संस्थान ब्याज दर की पेशकश करते है। अलग-अलग संस्थान अलग ब्याज दर देते हैं, जिसका सीधा असर फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली राशि पर पड़ता है। वर्तमान समय में फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगभग 7 से 9 प्रतिशत की दर से ब्याज दी जा रही है।
बैंक का नाम | सामान्य नागरिक के लिए (p.a.) | वरिष्ठ नागरिक के लिए (p.a) |
State Bank of India FD | 5.30% to 5.40% | 5.80% to 6.20% |
HDFC Bank FD | 2.50% to 5.60% | 3.00% to 6.35% |
Punjab National Bank FD | 2.90% to 5.25% | 3.50% to 5.75% |
Canara Bank FD | 2.90% to 5.40% | 2.90% to 5.90% |
Axis Bank FD | 2.50% to 5.75% | 2.50% to 6.50% |
Bank of Baroda FD | 2.80% to 5.25% | 3.30% to 6.25% |
IDFC Bank FD | 2.50% to 6.00% | 3.00% to 6.50% |
Bank of India FD | 2.85% to 5.05% | 3.35% to 5.55% |
Punjab and Sind Bank FD | 3.00% to 5.30% | 3.50% to 5.80% |
फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश का सुरक्षित तरीका है, इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता है।
साल भर से कम अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा अवधि वाले डिपॉजिट्स से ज्यादा फायदा मिलता है।
इस कम अवधि की डिपॉजिट पर ब्याज दरें तीन से चार साल वाले डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा है।
एफडी पर ब्याज सामान्य बचत खातों के मुकाबले ज्यादा होती है।
कुछ बैंक एफडी पर लोन की सुविधा भी देते हैं।
फिक्स डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट दोनों में ही ब्याज बराबर ही मिलता है लेकिन पैसा जमा करने का तरीका अलग है। फिक्स डिपॉजिट में धनराशि एक साथ जमा की जाती है जबकि रेकरिंग डिपॉजिट में निर्धारित समय पर किश्तों में राशि देनी होती है।
फिक्स डिपॉजिट की अवधि पूरी होने पर धनराशि निकाली जा सकती है, लेकिन वक्त से पहले पैसे निकालते हैं तो जुर्माना लगता है। रेकरिंग डिपॉजिट को कोई बीच में छोड़ना चाहे तो बैंक को ब्याज पर कोई जुर्माना नहीं देना होता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट की मैच्योरिटी पूरी होने से पहले तुड़वाने पर नुकसान होता है। अगर 1 साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं और 6 महीने के अंदर ही फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़ देते हैं तब कम ब्याज मिलता है, साथ ही बैंक कुछ जुर्माना भी काटती है।
जरूरत पड़ने पर बहुत से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले लोन की सुविधा देते हैं। एक निवेशक को फिक्स्ड डिपॉजिट की गई राशि के 90 फीसदी राशि तक लोन मिल सकता है। लोन की समयसीमा फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि के बराबर या कम होती है। लोन पर ब्याज़ दर फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज़ दर से 1% या 2% ज़्यादा होती है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह किसी भी वक्त फाइनेंशियल इमरजेंसी में काम आ सकती है। निवेशक को लोन मिलने के बाद भी फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज़ मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉज़िट के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है:
आधार कार्ड
पासपोर्ट
पैन कार्ड
वोटर आईडी कार्ड
ड्राइविंग लाइसेंस
पासपोर्ट
टेलीफोन का बिल
बिजली का बिल
चेक के साथ बैंक स्टेटमेंट
पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी सर्टिफिकेट/आईडी कार्ड
अगर आप एफडी अकाउंट खुलवाना चाहते हैं तो इसकी प्रक्रिया आसान है। इसके लिए आपको जरुरी दस्तावेजों के साथ नजदीकी बैंक में संपर्क करना होगा। बैंक से फिक्स्ड डिपॉजिट को लेकर जानकारी हासिल करें। फिक्स्ड डिपॉजिट पर दिए जा रहे ब्याज के बारे में जरूरी है।
सभी जानकारी हासिल करने के बाद फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट का फार्म भरकर और फिक्स डिपॉजिट में जमा की जाने वाली धनराशि जमा करना होगी। जिसके बाद बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ओपन हो जाएगा। यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकती है। चाहे तो इंटरनेट बैंकिंग के जरिए घर बैठे अपने सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट में जमा धनराशि को फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में जमा कर सकते हैं।